साउथ अफ्रीका के पूर्व कप्तान और सीनियर बल्लेबाज क्विंटन डी कॉक (Quinton de Kock) का टी20 विश्व कप के मैच से बाहर होने का मामला सामने आया है। कल हुये साउथ अफ्रीका और वेस्टइंडीज के बीच टी20 मैच में वो प्लेइंग इलेवन का हिस्सा नहीं थे। दरअसल, खबरों के मुताबिक क्रिकेट साउथ अफ्रीका ने यह निर्देश जारी किया था कि मैच से पहले उनकी टीम के सभी खिलाड़ी अश्वेत लोगों पर हो रहे अत्याचारों के विरोध में एक पैर घुटने के बल करेंगे। डी कॉक ने ऐसा करने से इंकार कर दिया। डी कॉक ने वेस्टइंडीज के खिलाफ सभी को चौंकाते हुए अपना नाम मैच से वापस ले लिया।
वहीं क्विंटन डी कॉक के ऐसा करने पर दक्षिण अफ्रीका के कप्तान टेम्बा बावुमा ने मैच से पहले टॉस में कहा, “उन्होंने निजी कारणों की वजह से इस मैच में नहीं खेलने का फैसला किया है।’ डी कॉक ने अतीत में भी घुटने टेकने से इंकार कर दिया था और इसे अपनी पर्सनल राय कहा था। उन्होंने कहा था कि यह सबका पर्सनल फैसला होता है। किसी को कुछ भी करने के लिए मजबूर नहीं किया जाता है। मैं इस तरह से चीजों को देखता हूं।’
क्विंटन डी कॉक के ऐसा करने कर सोशल मीडिया पर हर तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है। कुछ लोग उनके इस फैसले का सपोर्ट कर रहे हैं तो कुछ लोग इसके विरोध में हैं। पूर्व इंग्लैंड क्रिकेटर माइकल वॉगन ने लिखा कि, ‘यह एक खिलाड़ी पर निर्भर है कि वह BLM के लिए घुटने टेकना चाहता है या नहीं! ऐसा करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।’
एक अन्य यूजर ने लिखा, ‘दक्षिण अफ्रीका के ही क्रिकेटर हाशिम अमला को सालों तक अपनी जर्सी पर श’राब ब्रांड का लोगो नहीं लगाने के लिए खेलने की अनुमति दी गई थी, लेकिन BLM के समर्थन में घुटने टेकने से इंकार करने के कारण क्विंटन डी कॉक को उसी टीम से हटा दिया गया है। ये कैसा भेदभाव है।’
क्या है ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन
दरअसल 25 मई 2020 को अमेरिकन पुलिस अधिकारियों ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर रंग से काले व्यक्ति की बेवजह ही निर्मम ह’त्या कर दी। यह पूरी घटना बीच रोड पर अंजाम दी गई जिसे बहुत से लोगों ने अपने कैमरे में कैद भी कर लिया। पुलिस द्वारा मारे गए उस व्यक्ति का नाम जॉर्ज फ्लाइड था। 25 मई को हुए इस हादसे के बाद सोशल मीडिया पर अमेरिकी लोगों ने इस कैंपेन का प्रारंभ कर दिया।
ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन केवल अमेरिका में ही नहीं बल्कि अमेरिका के बाहर यूरोप लैटिन अमेरिका के साथ साथ ब्रिटेन में भी कई सालों से चल रहा है। क्योंकि इन सब देशों में गोरे और काले लोगों के बीच रंगभेद चलता रहता है। रंग भेद के अपराध को रोकने और विरोध करने के लिए ही काले लोगों द्वारा ब्लैक लाइंस मैटर आंदोलन का प्रारंभ किया गया जो अब वर्तमान में भी चल रहा है।
भारतीय टीम के खिलाड़ियों ने भी मैच से पहले अपना घुटना टेककर इस आंदोलन को सपोर्ट किया था। हालांकि सोशल मीडिया पर भारतीय टीम की भी आलोचना की गई थी। लोगों ने आरोप लगाया था कि यह एक वामपंथी पार्टियों द्वारा शुरू किया गया राजनीतिक आंदोलन है। भारतीय क्रिकेट खिलाड़ियों को इसमें हिस्सा नहीं लेना चाहिए। कुछ लोगों ने यह भी कहा कि भारतीय टीम एक काले व्यक्ति की हत्या पर घुटने पर बैठ सकती है लेकिन उसे बांग्लादेश हिंसा में मा’रे गए हजारों हिंदू दिखाई नहीं देते उनके लिए कोई कुछ नहीं बोलता। सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है कि सभी इंसानों की जिंदगी मैटर करती है चाहे वो काला हो या गोरा। लेकिन यह आंदोलन सिर्फ काले लोगों के नाम पर क्यों चलाया जा रहा है।