मोहम्मद शमी और हसीन जहां की शादी 2014 में हुई थी। लेकिन चार साल के बाद 2018 में दोनों के बीच अनबन शुरू हो गई। हसीन जहां ने मोहम्मद शमी के खिलाफ घरेलू हिंसा के आरोप लगाए थे। मामला काफी दिन तक सुर्खियों में रहा इसके बाद से दोनों अलग-अलग रहते हैं। हालांकि दोनों के बीच अभी तक तलाक नहीं हुआ है। सिर्फ घरेलू हिंसा ही नहीं शमी की पत्नी हसीन जहां ने शमी पर मैच-फिक्सिंग के भी आरोप लगाए थे।
लेकिन फिक्सिंग को लेकर बीसीसीआई की जांच में मोहम्मद शमी निर्दोष साबित हुए और उनकी पत्नी के आरोप झूठे पाए गए। यह वजह है कि शमी आज भी इंडियन टीम का हिस्सा हैं।
शमी और उनकी पत्नी का मामला एक बार फिर चर्चा में हैं। दरअसल, मोहम्मद शमी को कोलकाता की एक अदालत से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने शमी से अलग रह रही पत्नी हसीन जहां को 50,000 रुपये मासिक गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है। अदालत के फैसले के बाद शमी की ओर से भुगतान की जाने वाली गुजारा भत्ता राशि को लेकर जहां खुश नहीं थीं। उन्होंने भारतीय तेज गेंदबाज से हर महीने 10 लाख रुपये की मांग की थी।
2018 में हसीन जहां ने 10 लाख रुपये के मासिक गुजारा भत्ता के लिए कानूनी मामला दायर किया था। इसमें उन्होंने अपने खर्च के लिए प्रति माह 7 लाख रुपये और बेटी के रखरखाव के लिए 3 लाख रुपये की मांग की थी। माना जा रहा है कि जहां अधिक गुजारा भत्ते की मांग को लेकर हाई कोर्ट में फैसले को चुनौती दे सकती हैं। बता दें कि अलीपुर कोर्ट की जज अनिंदिता गांगुली ने सोमवार, 23 जनवरी को यह फैसला सुनाया।
मोहम्मद शमी की वार्षिक आय सालाना 7 करोड़
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत ने शमी को 50,000 रुपये हर महीने उनकी बेटी के रखरखाव के तौर पर देने का भी आदेश दिया। हसीन जहां की वकील मृगांका मिस्त्री ने कोर्ट को बताया कि 2020-21 के आयकर रिटर्न के अनुसार मोम्मद शमी की वार्षिक आय 7 करोड़ रुपये से अधिक है। उन्होंने इसी आधार पर मासिक 10 लाख रुपये गुजारा भत्ते की मांग रखी थी।
मिस्त्री का कहना था कि यह राशि शमी के लिए बड़ी बात नहीं होगी। हालांकि, शमी के वकील सेलिम रहमान ने तर्क दिया कि हसीन जहां खुद फैशन मॉडल हैं। उनकी आय का स्रोत इतना है कि वह अपना गुजारा कर सकती हैं। ऐसे में उनकी यह मांग सही नहीं है।