ब्रिटेन में महात्मा गांधी के चश्मे की लगी बोली, अमेरिकी शख्स ने खरीदा

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दुनिया को अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले महात्मा गांधी के दुनियाभर में करोड़ों प्रशंसक हैं। जो आज भी उनके बताये आदर्शों का सम्मान करते हैं। गांधी जी को नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने सबसे पहले राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया था। तब तक लोग उन्हें मोहनदास के नाम से ही जानते थे। महात्मा गांधी को इस धरती से गए कई साल हो गए हैं लेकिन उनकी लोकप्रियता अभी भी कम नहीं हुयी है।

सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विश्वभर में गांधी जी का बोलबाला है। उनकी लोकप्रियता का अनुमान आप उनके चश्मे की नीलामी की कीमत से लगा सकते हैं। दरअसल, हाल ही में ब्रिटेन के ब्रिस्टल में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के चश्मे की ऑनलाइन नीलामी हुई थी। इस चश्मे की निलामी ईस्ट ब्रिस्टल ऑक्शन्स एजेंसी की ओर से की गयी थी। कहते हैं कि इस चश्मे को महात्मा गांधी पहनते थे और बाद में उन्होंने इसको एक परिवार को गिफ्ट में दे दिया था।

100 साल से भी ज्यादा पुराना है यह

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जानकारों के अनुसार महात्मा गांधी का यह चश्मा तक़रीबन 100 साल से भी ज्यादा पुराना है और इस पर सोने की परत चढ़ी है। नीलामी से पहले इस चश्मे के 10,000 से 15,000 पौंड तक मिलने की उम्मीद जताई जा रही थी लेकिन जब नीलामी शुरू हुई तो कीमत बढ़ती ही गई और अंत में यह छह अंकों पर रुकी। महात्मा गांधी के चश्मे को नीलाम करने वाली एजेंसी का कहना है कि महात्मा गांधी को ये चश्मा उनके चाचा ने उस समय दिया था जब वो दक्षिण अफ्रीका में गए हुए थे। वो 1910 से 1930 के बीच का दौर था।

नीलामी के दौरान महात्मा गांधी के इस चश्मे को एक अमेरिकी कलेक्टर ने 2 करोड़ 55 लाख रुपए में खरीदा। जो की नीलामीकर्ता के अनुमान से कही ज्यादा है। इस नीलामी में बहुत से देशों के लोगों ने भाग लिया और काफी लोगो को इसने खासा आकर्षित किया। कुछ भारतीयों ने भी इसमें विशेष रुचि दिखाई। लेकिन अंत में अमेरिकी कलेक्टर ने बाजी मारते हुए इसे अपने नाम कर लिया।

महात्मा गांधी के करोड़ों चाहने वालों की संख्या करोड़ों में है

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नीलामी करने वाली कंपनी ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक चश्मा है। नीलामीकर्ता के अनुसार चश्मे का मालिक नीलामी से प्राप्त धन को अपनी बेटी के साथ बांटेगा। महात्मा गांधी पूरी दुनिया के लिए अहिंसा, प्रेम, करुणा और मानवता की प्रेरणा हैं। गांधीजी का शिक्षा के क्षेत्र में भी विशेष योगदान रहा है। उनका मूलमंत्र था- ‘शोषण-विहीन समाज की स्थापना करना’। ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका समेत कई बड़े बड़े देशों में महात्मा गांधी के करोड़ों चाहने वालों की संख्या करोड़ों में है।

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