भारत के पूर्व कोच ने दीपक चाहर को कर दिया था रिजेक्ट, कहा था- क्रिकेट छोड़कर कोई और पेशा ढूंढ लो

तेज गेंदबाज़ दीपक चाहर ने श्रीलंका के खिलाफ दूसरे वनडे मैच में शानदार प्रदर्शन करते हुए ये साबित कर दिया कि वे सिर्फ गेंदबाज़ी ही नहीं बल्कि अच्छी बल्लेबाज़ी करना भी जानते हैं. राजस्थान के खिलाड़ी दीपक चाहर आईपीएल में चेन्नई की तरफ से खेलते हैं. वे पहले भी मैदान पर अपने नाम का लोहा मनवा चुके हैं.

अगर आपको याद हो तो बांग्लादेश के खिलाफ नागपुर टी20 में दीपक ने महज 7 रन देकर 6 विकेट हासिल किए थे. यह टी20 क्रिकेट में वर्ल्ड रिकॉर्ड है. इसके अलावा वे पहले रणजी ट्रॉफी मैच में भी अपनी छाप छोड़ चुके हैं उन्होंने एक पारी में 10 रन देकर 8 विकेट चटकाए थे.

लेकिन क्या आपको पता है कि एक समय ऐसा भी था जब उन्हें ये तक कह दिया गया था कि वह क्रिकेटर नहीं बन सकते. भारतीय टीम के पूर्व कोच ग्रेग चैपल ने कभी दीपक चाहर का करियर खत्म करने की कोशिश की थी. इस बात का खुलासा पूर्व तेज गेंदबाज वेंकटेश प्रसाद ने किया है. भारत की जीत के बाद पूर्व क्रिकेटर वेंकटेश प्रसाद ने ट्वीट कर उस वाकए की याद दिलाई है।


दरअसल, 2008 में ग्रेग चैपल राजस्थान क्रिकेट असोसिएशन अकैडमी के डायरेक्टर थे। ऑस्ट्रेलिया में एक अंडर-19 टूर्नमेंट खेल स्वदेश लौटे दीपक को ग्रेग ने बाहर कर दिया था। चाहर तब राजस्थान क्रिकेट टीम के लिए खेलना चाहते थे तो ट्रायल में उनको चैपल ने लंबाई की वजह से छांट दिया था. प्रसाद ने यहां तक लिखा है कि कैसे इस युवा खिलाड़ी को मनोबल तोड़ते हुए चैपल ने उनको क्रिकेट छोड़कर किसी और चीज को पेशा बनाने का सलाह दी थी।

लेकिन दीपक के दिल में चैपल की ये बात घर कर गयी और उन्होंने हौसला नहीं हारा और उसी दिन से क्रिकेटर बनने की ठान ली. अपने उस पल को याद करते हुए दीपक ने एक इंटरव्यू में कहा था कि “उन्होंने (ग्रेग चैपल) मुझे राजस्थान के अंतिम 50 में भी नहीं चुना। उन्होंने मुझे बताया कि उन्हें नहीं लगता कि मैं अच्छा क्रिकेट खेल सकता हूं। मुझे ये बात बहुत बुरी लगी।”

दीपक ने आगे कहा, “मेरे पूरे करियर में वो एक ऐसा दिन था जब मुझे रोने का मन हुआ। हालांकि अच्छा ही हुआ की मुझे घर भेज दिया गया, क्योंकि इसके बाद मैंने जमकर मेहनत की और दो साल के भीतर मैं राजस्थान के लिए रणजी ट्रोफी खेल रहा था।

दीपक का मानना है कि उनकी जिंदगी में सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट 2019 के आईपीएल में आया। महेंद्र सिंह धोनी ने 2018 में उन्हें ड्वेन ब्रावो की गैर-मौजूदगी में पावरप्ले और डेथ ओवरों में अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी। उन्होंने स्विंग के अनुकूल हालात नहीं होने पर भी गेंदबाजी करना सीखा।

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