भारतीय रेल में हर रोज लाखों लोग सफर करते हैं। रेल यातायात का एक बेहद अच्छा और सुगम साधन है। लेकिन कई बार यात्रियों को रेलवे के नियम पता नहीं होने के कारण परेशानी का सामना करना पड़ता है। आज हम आपको भारतीय रेलवे का एक ऐसा ही नियम बताने जा रहे हैं जिसको आईआरसीटीसी ने हाल ही में लागू किया है।
दरअसल विकलांगों की यात्रा को और सुविधाजनक बनाने के लिए भारतीय रेलवे ने यह कदम उठाया है। जिसका असर सभी पर पड़ेगा। यदि आप विकलांग नहीं हैं तो भी यह खबर आपके लिए जानना महत्वपूर्ण है।
ट्रेन टिकट बुक करते समय हमसे बर्थ सलेक्ट करने का पूछा जाता है और हम अपनी मनपसंद बर्थ को बुकिंग के समय चुनते हैं जिससे वह बर्थ मिलने के चांस बढ़ जाते हैं। मनपसंद सीट पाने के लिए महीने भर पहले से ही लोग टिकट की बुकिंग शुरू कर देते हैं। ज्यादातर लोगों की पसंदीदा सीट लोअर बर्थ या साइड लोअर बर्थ होती है। लेकिन अब शायद वह इस सीट को बुक नहीं कर पाएंगे।
जी हां, भारतीय रेलवे ने इसके लिए आदेश जारी कर दिया है। आदेश के मुताबिक ट्रेन की निचली बर्थ कुछ कैटेगरी के लोगों के लिए रिजर्व रहेगी। आइए जानते हैं कि ट्रेन की निचली सीट किसे मिलेगी।
आपको बता दें, रेलवे ने ट्रेन की निचली बर्थ विकलांग या शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए आरक्षित की है। उनकी यात्रा को और सुविधाजनक बनाने के लिए भारतीय रेलवे ने यह अहम फैसला लिया है।
रेलवे बोर्ड के आदेश के अनुसार स्लीपर क्लास में विकलांगों के लिए चार, नीचे की दो, बीच की दो, थर्ड एसी की दो, एसी3 इकोनॉमी की दो सीटों को आरक्षित किया गया है। इस सीट पर वह या उनके साथ सफर करने वाले लोग बैठ सकेंगे। वहीं, गरीब रथ ट्रेन में 2 निचली और 2 ऊपर की सीटें विकलांगों के लिए आरक्षित हैं। उन्हें इन सीटों का पूरा किराया देना होगा।
वैसे भारतीय रेलवे बुजुर्गों को बिना मांगे लोअर बर्थ देती है। स्लीपर क्लास में 6 से 7 लोअर बर्थ, हर थर्ड एसी कोच में 4-5 लोअर बर्थ, हर सेकंड एसी कोच में 3-4 लोअर बर्थ ट्रेन में 45 साल या उससे ज्यादा उम्र के लोगों और गर्भवती महिलाओं के लिए आरक्षित होती हैं। उन्हें बिना कोई विकल्प चुनें सीट मिल जाती है।
वहीं अगर किसी वरिष्ठ नागरिक, दिव्यांग या गर्भवती महिला को ऊपर की सीट पर टिकट बुकिंग दी जाती है तो टीटी से बात करके वे नीचे की सीट ले सकते हैं।