Home खेल जगत पाकिस्तान को हराने में इस भारतीय का था बड़ा हाथ, ऐसे बदली जिंबाब्वे क्रिकेट टीम की किस्मत

पाकिस्तान को हराने में इस भारतीय का था बड़ा हाथ, ऐसे बदली जिंबाब्वे क्रिकेट टीम की किस्मत

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पाकिस्तान को हराने में इस भारतीय का था बड़ा हाथ, ऐसे बदली जिंबाब्वे क्रिकेट टीम की किस्मत

जिंबाब्वे ने पाकिस्तान को हराकर वर्ल्ड कप में एक बड़ा उलटफेर कर दिया है जिसको इतिहास में हमेशा याद किया जाएगा। इस हार के बाद पाकिस्तान की टीम का सेमीफाइनल में पहुंचने की राह मुश्किल हो गई है। लेकिन क्या आपको पता पाकिस्तान की हार और जिंबाब्वे के शानदार प्रदर्शन के पीछे एक भारतीय का हाथ है। वह भारतीय कौन है आइये आपको बताते हैं।

जिंबाब्वे के द्वारा पाकिस्तान की टीम के खिलाफ जीत हासिल करने की कामयाबी के पीछे भारत के ही पूर्व क्रिकेटर और पूर्व कोच लालचंद राजपूत का हाथ है। लालचंद राजपूत भारत के 2007 में टी20 वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम के कोच रहे थे। जुलाई 2018 में वे जिम्बाब्वे की पुरुष टीम से जुड़े थे। लालचंद ने कहा, जब मैं टीम का कोच नियुक्त हुआ था तो टीम 2019 वनडे वर्ल्ड कप में ही जगह नहीं बना पाई थी। मेरा लक्ष्य यही था कि पहले हम क्वालीफाई करने पर ध्यान देंगे।

Lalchand Rajput

जिम्बाब्वे ने बुधवार को पाकिस्तान को एक रन से हराकर टी20 विश्व कप में बेहतरीन जीत में से एक हासिल की और इससे राष्ट्रीय टीम के मौजूदा तकनीकी निदेशक राजपूत से ज्यादा खुश कोई नहीं हो सकता था। राजपूत ने कहा, ‘मेरा सपना उन्हें ऑस्ट्रेलिया में टी20 विश्व कप के लिए क्वालीफाई करते देखना था। यह सोने पर सुहागा है और मुझे अपने लड़कों पर गर्व है।’

स्टार बल्लेबाज सिकंदर रजा ने सिर्फ 2022 में ही पांच वनडे शतक बनाए हैं जबकि मौजूदा सत्र से पहले 50 ओवर के प्रारूप में उनका एकमात्र शतक 2015 में बना था। बुधवार को रजा ने अपनी ऑफ स्पिन से तीन विकेट चटकाए और मैच का रुख बदलते हुए टीम को एक रन से जीत दिलाई।

Lalchand Rajput Zimbabwe Coach

राजपूत ने कहा, ‘सिकंदर एक भावुक लड़का है। वह देर से 36 साल की उम्र में निखर रहा है। मुझे याद है कि कुछ साल पहले जब मैंने पद संभाला था तो उससे पूछा था, ‘तूने कितने मैच जिम्बाब्वे को जिताये हैं। उसने लंबे समय से शतक नहीं बनाया था। वह 40 के आसपास रन और कभी कभी अर्धशतक बना रहा था जिससे कि टीम में उसकी जगह सुरक्षित रही।’

लालचंद राजपूत की वैसे तो जिम्बाब्वे से जुड़ने की कोई योजना नहीं थी क्योंकि वह ग्रेटर नोएडा में अफगानिस्तान टीम को कोचिंग देकर खुश थे। लेकिन चीजें तब बदल गईं जब अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड (एसीबी) के अधिकारी चाहते थे कि वह जूनियर विश्व कप की अंडर-19 राष्ट्रीय टीम तैयार करने के लिए काबुल आएं।

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